Tuesday, October 11, 2016

विजय दशमी : चलो आज बुराईयों को खत्म करें

विजय दशमी : चलो आज बुराईयों को खत्म करें
दानवों से पंजाब को सुचेत रहने की अपील

आज विजय दशमी का त्यौहार है, भाव बुराई पर जीत हासिल करने का दिन। जन्म से ही कोई चोर नहीं होता तथा न ही जन्म से कोई बुरा होता है। वक्त तथा हालात के साथ-साथ अच्छे मार्ग पर चल रहा व्यक्ति भी भटककर गलत रास्ते पर चल पड़ता है तथा फिर भ्रष्टाचार का राह चुनकर व गुनाहों तथा बुराईयों के साथ अपनी झोली भरता जाता है, ऐसे में वह इंसान से दानव बन जाता है। भ्रष्टाचार, झूठ, धोखाधड़ी, बेईमानी, छलावा, निजता, महिलाओं का अपमान, बड़ों का अनादर, काला धन तथा समाज विरोधी गतिविधियां जिसके जीनव का हिस्सा जाएं, फिर वह इन दस बुराईयों से दस सिरों वाला रावण बन जाता है। समाज में रहते हुए, परिवारों में व्यस्त, राजनीतिक जीवन व्यतीत करते हुए यदि इन बुराईयों से बचकर रहें तथा इन दस अवगुणों से दूर रहें, फिर हम सचमुच राम भक्त कहलवा सकते हैं, फिर हम सचमुच राम राज्य के पहरेदार बन सकते हैं, फिर हम सचमुच समाज के सेवक कहलवाने का हक रखते हैं। आज फिर से बुराई को अंदर से भी तथा बाहर से भी मिटाने का प्रण लेकर आगे बढऩे का अवसर है।  

हमारे तो यह कहावत है, यह धारणा है, यह सिद्धांत है कि बुरे को मारने की बजाए, बुराई को खत्म करो। इसी सिद्धांत का प्रतीक है आज का त्यौहार, पर मुझे अफसोस से आपके साथ यह बात शेयर करनी पड़ रही है कि आज पंजाब में सच का पहरावा डालकर फिर से दानव मेरे पंजाब का हरण करने आ गए हैं। जो खुद को स्वयं ही ईमानदारी का मैडल देते हैं, पर उनकी सोच सिर्फ सत्ता हासिल करने की है, सेवा करने की नहीं। दावे तो वह झाडू से गंदगी मिटाने की करते हैं, आए दिन उनके ही कार्यकर्ताओं/नेताओं द्वारा सामने लाई जा रही भ्रष्टाचार की घटनाओं, टिकटों की खरीदो-फरोख्त के आरोप तथा सेक्स स्केंडल की सीडीज ने तो हमको बता ही दिया है कि यह झाडू सफाई करने की जगह गंदगी ही फैला रहा है, जो हम अपने पंजाब में नहीं फैलने देंगे।  

आज जरूरत उन राक्षसी विचारों को खत्म करने की है, जो गलत विचार श्री दरबार साहिब तथा अपने पवित्र ग्रंथों का अपमान करवा लेते हैं। यह राक्षसी विचार ही थे, जिन्होंने दिल्ली में बेगुनाहों का कत्ल किया, यह राक्षसी विचार ही थे जिन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब, भगवत गीता तथा कुरान जैसे हमारे धार्मिक ग्रंथों को खंडित किया। यह राक्षसी विचार ही हैं, जो देश की एकता तथा सुरक्षा को भुलाकर सिर्फ सत्ता का सुख हासिल करने के लिए बोले जा रहे हैं। ऐसे दानवों से, ऐसे राक्षसी सोच वालों से सुचेत रहने की जरूरत है, बचकर चलने की जरूरत है। आज जरूरत बाहरी तथा अंदरूनी बुराईयों को मिटाने की है। आज आर तथा पार के उन राक्षसी चेहरों को पहचानने की जरूरत है, जो रावण जैसे चेहरे पर राम का मुखौटा डालकर हमारे घर के अंदर दाखिल होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इन्हें पहचान लेना तथा बुराई पर अच्छाई की जीत कर विजय दशमी मना लेना।    सभी को बधाई।
 
विजय सांपला
अध्यक्ष,
भारतीय जनता पार्टी पंजाब

No comments:

Post a Comment