धार्मिक तथा सामाजिक मर्यादा का प्रतीक "भगवान वाल्मीकि तीर्थ"
भगवान वाल्मीकि जी की चरणछोह प्राप्त भूमि
श्री अमृतसर का नाम दिमाग में आते ही मन श्रद्धा से भर जाता है और इस पवित्र धरती के आगे अपने आप ही शीश झुक जाता है। सदभावना के प्रतीक सचखंड श्री दरबारसाहिब इसी धरती पर स्थित है, स्वतंत्रता सैनानियों के लहू से रक्तरंजित, शहादत की गीत गाथा सुनाता जलियांवाला बाग अमृतसर में मौजूद है तथा दुर्गयाणा मंदिर औरना जाने ऐसे कितने ही धार्मिक और एतिहासिक स्थल अमृतसर की इस पावन धरती पर स्थित हैं। इनमें से एक है प्राचीन और हमारी एतिहासिक विरासत भगवान श्रीवाल्मीकि जी की चरणछोह प्राप्त वह जगह जहां उन्होनें मानवता के कल्याण के लिए प्रेम, एकता व आदर्श का संदेश देती अपनी कुटिया स्थापित की थी जो आश्रम बनगई और आश्रम से यह जगह अनेक लोगों का आसरा भी बन गई।
भगवान वाल्मीकि जी के तीर्थस्थल को रामतीर्थ के नाम से जाना जाता है ओर अब इसे भगवान वाल्मीकि तीर्थ भी कहा जाता है। हमारा इस तीर्थ स्थल से बेहद गहरा नाताहै। यह बातें आज उस वक्त मेरे मन में चल रही थी, जब मैं नवनिर्मित भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल के नये बने भवन, आश्रम, बेसहारा लोगों के लिए सहारा बने इसपावन स्थल को मानएवता को समर्पित करने के लिए रखे कार्यक्रम में एक श्रद्धालु के रूप में शिरक्त करने जा रहा था। भगवान वाल्मीकि जी का विशाल हृदय, विशालसोच, महिलाओं के प्रति सममान तथा उनकी सुरक्षा करने वाला संदेश आज के दौर में भी हमारे लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने इस दौर में एक राजा द्वारा त्याग की गईऔरत को ना सिर्फ अपने आश्रम में सहारा दिया, बल्कि उसके दोनों बच्चों का लालन-पालन किया, और उन्हें धार्मिक एवं राजनीतिक शिक्षा के साथ-साथ शस्त्र विद्या मेंभी निपुण बनाया।
भगवान वाल्मीकि ही थे जिन्होंने रामायण की रचना की, जिसे आज हम वाल्मीकि रामायण के नाम से जानते हैं और जो हमारे लिए एक आर्दश जीवन का मार्ग प्रशस्तकरती है।
पंजाब सरकार ने हमारी भावनाओं को समझते हुए इस भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल का खुले दिल से नवीनीकरण किया है। भगवानवाल्मीकि जी की विशाल मूर्ति यहांस्थापित की गई है। हमारी विरासत को संभालने के लिए किए गए कार्य के लिए पंजाब सरकार प्रशंसा की पात्र है। ये तीर्थ स्थल हमारी आने वाली पीढिय़ों का मार्ग दर्शनकरेगा तथा अपनी पहचान से अवगत करवाएगा। हमें समाज में समानता दिलाएगा और अपने अधिकारों की पहचान भी करवाएगा।
वाल्मीकि समाज बडे जोश के साथ भारी संख्या में कार्यक्रम में शामिल हुआ। गठबंधन सरकार का दिल से धन्यावाद करता हुआ लोंगो का मन साफ पढ़ा जा सकता था। मैंइस एतिहासिक धार्मिक स्थल को शीश झुकाता हूं और दिल की गहराईयों से पंजाब सरकार का धन्यावाद करता हूं।
जय वाल्मीकि...हर हर वाल्मीकि
भगवान वाल्मीकि जी की चरणछोह प्राप्त भूमि
श्री अमृतसर का नाम दिमाग में आते ही मन श्रद्धा से भर जाता है और इस पवित्र धरती के आगे अपने आप ही शीश झुक जाता है। सदभावना के प्रतीक सचखंड श्री दरबारसाहिब इसी धरती पर स्थित है, स्वतंत्रता सैनानियों के लहू से रक्तरंजित, शहादत की गीत गाथा सुनाता जलियांवाला बाग अमृतसर में मौजूद है तथा दुर्गयाणा मंदिर औरना जाने ऐसे कितने ही धार्मिक और एतिहासिक स्थल अमृतसर की इस पावन धरती पर स्थित हैं। इनमें से एक है प्राचीन और हमारी एतिहासिक विरासत भगवान श्रीवाल्मीकि जी की चरणछोह प्राप्त वह जगह जहां उन्होनें मानवता के कल्याण के लिए प्रेम, एकता व आदर्श का संदेश देती अपनी कुटिया स्थापित की थी जो आश्रम बनगई और आश्रम से यह जगह अनेक लोगों का आसरा भी बन गई।
भगवान वाल्मीकि जी के तीर्थस्थल को रामतीर्थ के नाम से जाना जाता है ओर अब इसे भगवान वाल्मीकि तीर्थ भी कहा जाता है। हमारा इस तीर्थ स्थल से बेहद गहरा नाताहै। यह बातें आज उस वक्त मेरे मन में चल रही थी, जब मैं नवनिर्मित भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल के नये बने भवन, आश्रम, बेसहारा लोगों के लिए सहारा बने इसपावन स्थल को मानएवता को समर्पित करने के लिए रखे कार्यक्रम में एक श्रद्धालु के रूप में शिरक्त करने जा रहा था। भगवान वाल्मीकि जी का विशाल हृदय, विशालसोच, महिलाओं के प्रति सममान तथा उनकी सुरक्षा करने वाला संदेश आज के दौर में भी हमारे लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने इस दौर में एक राजा द्वारा त्याग की गईऔरत को ना सिर्फ अपने आश्रम में सहारा दिया, बल्कि उसके दोनों बच्चों का लालन-पालन किया, और उन्हें धार्मिक एवं राजनीतिक शिक्षा के साथ-साथ शस्त्र विद्या मेंभी निपुण बनाया।
भगवान वाल्मीकि ही थे जिन्होंने रामायण की रचना की, जिसे आज हम वाल्मीकि रामायण के नाम से जानते हैं और जो हमारे लिए एक आर्दश जीवन का मार्ग प्रशस्तकरती है।
पंजाब सरकार ने हमारी भावनाओं को समझते हुए इस भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल का खुले दिल से नवीनीकरण किया है। भगवानवाल्मीकि जी की विशाल मूर्ति यहांस्थापित की गई है। हमारी विरासत को संभालने के लिए किए गए कार्य के लिए पंजाब सरकार प्रशंसा की पात्र है। ये तीर्थ स्थल हमारी आने वाली पीढिय़ों का मार्ग दर्शनकरेगा तथा अपनी पहचान से अवगत करवाएगा। हमें समाज में समानता दिलाएगा और अपने अधिकारों की पहचान भी करवाएगा।
वाल्मीकि समाज बडे जोश के साथ भारी संख्या में कार्यक्रम में शामिल हुआ। गठबंधन सरकार का दिल से धन्यावाद करता हुआ लोंगो का मन साफ पढ़ा जा सकता था। मैंइस एतिहासिक धार्मिक स्थल को शीश झुकाता हूं और दिल की गहराईयों से पंजाब सरकार का धन्यावाद करता हूं।
जय वाल्मीकि...हर हर वाल्मीकि
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